International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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बौद्ध धर्म और पुनर्जन्म सिद्धांत विमर्श

    1 Author(s):  DR. SHASHI BALA

Vol -  10, Issue- 3 ,         Page(s) : 150 - 153  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

बौद्ध दर्शन ने व्यवस्थित और तार्किक ढंग से अनात्मवाद और अनीश्वरवाद का प्रतिपादन किया है। इस प्रतिपादन से यह स्पष्ट पता चलता है कि प्रारम्भिक उपदेष्टा स्थिति के बाद आगे चलकर बु( और उनके अनुयायियों ने पुनर्जन्म के सि(ान्त को स्वीकार कर लिया था। पुनर्जन्म के सि(ान्त न मानने पर भिक्षुओं को ब्रह्मचर्य आदि नियमों के भंग होने का भय दिखाया गया। बु( ने इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए कहा है- यदि पुनर्जन्म न रहे तो पिफर भिक्षुओं को व्रत एवं कठोर तप का पफल कैसे प्राप्त होगा। पफलतः पुनर्जन्म के प्रतिष्ठापन के लिए प्रतीत्यसमुत्पाद सि(ान्त का इन्हंे आविष्कार करना पड़ा।

  अघõुत्तरनिकाय 12-135
  मज्झिमनिकाय- 1.3.8.
  भा.द.नई दृष्टि

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