International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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मुगलकालीन वास्तुकला एवं औपनिवेशकालीन वास्तुकला: एक तुलनात्मक अध्ययन
1 Author(s): VINOD RANJAN
Vol - 8, Issue- 5 , Page(s) : 311 - 315 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
किसी भी देश के विकास में कला का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। यह साझा दृष्टिकोण, मूल्य, प्रथा एवं एक निश्चित लक्ष्य को प्रदर्शित करता है। फिर सभी आर्थिक, सामाजिक एवं अन्य गतिविधियांे में संस्कृति एवं रचनात्मकता का समावेश होता है। विविधताओं का देश, भारत अपनी विभिन्न संस्कृतियों के लिए जाना जाता है। भारत में स्थापत्य व वास्तुकला की उत्पत्ति हड़प्पा काल से माना जाता है। स्थापत्य एवं वास्तुकला की दृष्टिकोण से हड़प्पा संस्कृति अपने समकालीन संस्कृतियों से काफी आगे थी। भारतीय स्थापत्य एवं वास्तुकला की सबसे खास बात यह है कि इतने लंबे समय के बावजूद इसमें एक निरंतरता के दर्शन मिलते हैं। इसी क्रम में हमें मुगल वास्तुकला के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं। मुगल वास्तुकला जहां