International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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जिला सहकारी बैंक के ऋण वितरण एवं वसूली का विश्लेषण (जनपद उत्तरकाशी के संदर्भ में)
1 Author(s): ARJUN RAVI
Vol - 8, Issue- 3 , Page(s) : 176 - 181 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
हमारे देश की अर्थव्यवस्था के विकास का आधार कृषि है। अन्य उद्योग एवं व्यापार की तरह कृषि कार्यो के लिए भी पूंजी एवं साख सुविधाओं की आवश्यकता होती है। कृषि कार्य में प्राकृतिक व भौगौलिक अनिश्चितता, कृषि उपकरणों का अभाव, चकबन्दी, कृषकों की अशिक्षा, रूढ़िवादिता, ऋणग्रस्तता तथा साख सुविधाआंे के अभाव के कारण कृषि कार्य उत्पादन व लाभप्रद व्यवसाय नहीं बन सका। प्रायः यह देखा गया है कि भारतीय ग्रामीण कृषक ऋण मंे जन्म लेता है, जन्म बिताता है और उसकी उम्र भी ऋण के दौरान ही पूरी हो जाती है। इसके अतिरिक्त गांवों में पंूजी, विनियोग, बचत एवं वित्तीय सुविधाओं का नितान्त अभाव रहा है। अतः किसानों को महाजनों एवं साहूकारों से ऋण लेना पड़ता है जो इनका शोषण करते रहे हैं। ऐसी स्थ्तिि मे भारत में सहकारी आन्दोलन ने गत्यात्मक भूमिका प्रस्तुत की है।