International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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‘‘पंचायत राज व्यवस्था के अंतर्गत आदिवासी महिला नेतृत्व का सामाजिक़़ स्वरूप‘‘ (बड़वानी जिले के संदर्भ में एक अध्ययन)

    1 Author(s):  NARAYAN PATIDAR

Vol -  8, Issue- 3 ,         Page(s) : 98 - 101  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

स्वतंत्र भारत की जनवादी राजनीतिक सहभागिता के मूल्य पर आधारित है। राजनीतिक व्यवस्था के प्रत्येक स्तर पर व्यक्ति को सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान किया गया है। समाज के निर्धन वर्ग विशेषकर अनुसूचित जाति और जनजाति के व्यक्तियों को राजनीतिक सहभागिता का अवसर प्रदान करने के लिए तीन प्रकार की व्यवस्थाओं को मुख्य रूवप से अपनाया गया है। प्रथम अनुसूचित जनजाति समुदाय की उन्नति के लिए शैक्षणिक कल्याण की योजनाएॅं अपनायी गयी है। द्वितीय सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था। तृतीय राजनीतिक आरक्षण की व्यवस्था। इस व्यवस्था के अधीन लोकसभा और विधानसभा के कुछ स्थान अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित कर दिए गए है

  1. अल्तेकर, ए.एस., ‘‘द पाॅजीषन आॅफ वूमन इन हिन्दू सिविलाइजेषन‘‘।
  2. मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली रिप्रिंट 1978, पृ. 196 
  3. नई दुनिया, 25 जुलाई 2009, इंदौर पृ. 08
  4. नई दुनिया, 8 मार्च 2011, इंदौर पृ. 10
  5. सोनी अंबिका,: ‘‘अतंर्राष्ट्रीय महिला दिवस‘‘, दैनिक भास्कर इंदौर, 8 मार्च 2011 पृ. 1
  6. जैन डाॅ. निकुंज पंचायती राज व्यवस्था एक दृष्टिकोण 1995

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