International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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बटालवी दे ‘पीड़ा दा परागा’: इक जायज़ा

    1 Author(s):  RIMJHIM GUPTA

Vol -  8, Issue- 12 ,         Page(s) : 51 - 53  (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

आधुनिक पंजाबी गगन मंडल च सुरजीत पाटर, डा. जगतार, अमृता प्रीतम, धनीराम चाटरी आदि नेकां खास कवि होए न जि’नें अपनी कविताएं दी रोषनी कन्नै पंजाबी साहित्य गी अति रोषन कीता। पर उंदे च इक होर ऐसे कवि न जेह्ड़े अति रोषन सितारे दी हैसियत रखदे न ओह् न - ‘षिव कुमार बटालवी’ जिनें गी अपनी निक्की जनेही उमरै च ओह् मकाम ते कामजाबी हासल होई जेह्ड़ी शायद गै कुसै होर कवि गी हासल होई होग।

1. डा. अतर सिंह, षिव कुमार चंडीगढ़ पोस्ट, मई-जून, 1973, सफा - 39
2. कंडियाली थोर, षिव कुमार - समुच्ची कविता, सफा - 31
3. पंछी हो जावां, षिव कुमार - समुच्ची कविता, सफा - 50
4. चांदी दियां गोलियां, षिव कुमार - समुच्ची कविता, सफा - 46
5. कंडियाली थोर, षिव कुमार - समुच्ची कविता, सफा - 32
6. हंझूआ दी छबील, षिव कुमार - समुच्ची कविता, सफा - 42
7. भूमिका, अमृता प्रीतम, पीड़ा दा परागा

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