International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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‘’दक्षिणी राजस्थान की लोक कलाओं में अभिव्यक्त लोक संस्कृति‘’ ऐतिहासिक पृष्ठभमि एवं सांस्कृतिक विरासत

    2 Author(s):  DR. DHARMVEER VASHISHT, GEETA KUMARI

Vol -  7, Issue- 12 ,         Page(s) : 357 - 361  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

राजस्थान के दक्षिण में स्थित अरावली की सुरम्य उपत्यकाओं की प्राकृतिक गोद में बसे हुए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को ‘वागड़’ प्रदेश के नाम से जाना जाता है। दक्षिणी राजस्थान में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा प्रतापगढ़, चिŸाौडगढ़ व राजसमंद जिले का फैलाव है। भारतीय संस्कृति की समृद्धता प्राचीन परम्परा, विविध संस्कृतियों के संगम अनेक लोक कलात्मक अवदानों व अलंकरणों के कारण आज विश्व के सांस्कृतिक परिदृश्य में दक्षिणी राजस्थान का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास में दक्षिणी राजस्थान के अदम्य साहस, अद्भूत शौर्य, अतुल्य बलिदान, सहज अभिव्यक्ति, समर्पण की अभिलाषा और सांस्कृतिक विरासत की सुदीर्घ परम्पराओं ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

  1. कल्पना खत्री - मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर (15वीं शताब्दी के संदर्भ में), अंकुर प्रकाशन, 2011, पृ. 11 
  2. महेन्द्र भानावत, राजस्थान के लोक नृत्य, पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर, 2004, पृ. 1
  3. मोहन लाल जाट - दक्षिणी राजस्थान की जनजातीय चित्रकला, एपेक्स पब्लिशिंग हाउस, उदयपुर, जयपुर, 2014, पृ. 33 
  4. मोहनलाल जाट - जनजातीय सांस्कृतिक परम्परा में चित्रकला का महत्व, मा.ला. वर्मा आ.जा. शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर, त्रैमासिक पत्रिका, 2006, पृष्ठ 18
  5. नीरज जयसिंह, भगवतीलाल शर्मा - राजस्थान की सांस्कृतिक परम्परा, राज. हि. ग्र. अ., जयपुर, 1989, पृ. 97 
  6. अर्जुनसिंह शेखावत - संस्कृति की वसीयत, आ.अ. पाली - दिव्या प्रकाशन, प्रथम संस्करण, मार्च 2009, पृ. 91
  7. मोहन लाल जाट - दक्षिणी राजस्थान की जनजातीय चित्रकला, एपेक्स पब्लिशिंग हाउस, उदयपुर, जयपुर, 2014, पृ. 62
  8. नीरज जयसिंह, भगवतीलाल शर्मा - राजस्थान की सांस्कृतिक परम्परा, राज. हि. ग्र. अ., जयपुर, 1989, पृ. 97
  9. अर्जुनसिंह शेखावत - संस्कृति की वसीयत, आ.अ. पाली - दिव्या प्रकाशन, प्रथम संस्करण, मार्च 2009, पृ. 91-92
  10. विष्णु माली - राजस्थान की ‘’गरासिया जनजाति की कला परम्परा‘’ नवकार प्रकाशन, अजमेर, पृ. - 11
  11. जयसिंह नीरज, शर्मा, भगवतीलाल - राजस्थान की सांस्कृतिक परम्परा, राज. हि. ग्र. अ., जयपुर, 1989, पृ. 1

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