‘’दक्षिणी राजस्थान की लोक कलाओं में अभिव्यक्त लोक संस्कृति‘’ ऐतिहासिक पृष्ठभमि एवं सांस्कृतिक विरासत
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Author(s):
DR. DHARMVEER VASHISHT, GEETA KUMARI
Vol - 7, Issue- 12 ,
Page(s) : 357 - 361
(2016 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
Abstract
राजस्थान के दक्षिण में स्थित अरावली की सुरम्य उपत्यकाओं की प्राकृतिक गोद में बसे हुए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र को ‘वागड़’ प्रदेश के नाम से जाना जाता है। दक्षिणी राजस्थान में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा प्रतापगढ़, चिŸाौडगढ़ व राजसमंद जिले का फैलाव है। भारतीय संस्कृति की समृद्धता प्राचीन परम्परा, विविध संस्कृतियों के संगम अनेक लोक कलात्मक अवदानों व अलंकरणों के कारण आज विश्व के सांस्कृतिक परिदृश्य में दक्षिणी राजस्थान का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास में दक्षिणी राजस्थान के अदम्य साहस, अद्भूत शौर्य, अतुल्य बलिदान, सहज अभिव्यक्ति, समर्पण की अभिलाषा और सांस्कृतिक विरासत की सुदीर्घ परम्पराओं ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
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