International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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वैदेही वनवास और वनस्थली, दोनों के कथानक महाकाव्य की दृष्टि से अध्ययन

    1 Author(s):  MEENA KUMARI

Vol -  7, Issue- 4 ,         Page(s) : 165 - 175  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

प्रबन्ध पटुता की दृष्टि से दोनों ही महाकाव्य खरे हैं। महाकाव्य की कसौटी पर भी दोनों को महाकाव्य कहा जा सकता हैं। दोनों महाकाव्यों के कथानक की पृष्ठभूमि राम द्वारा सीता का परित्याग है। दोनों ही महाकाव्य सर्गबद्ध हैं और दोनों के ही नायक श्री राम उदत्त गुणों से भरपूर धीरोदात्त नायक हैं, जिन्हें आधुनिक परिवेश में एक महान आदर्श पुरूष के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त सीता, लक्ष्मण, वाल्मीकि, लवकुश आदि के चरित्र भी कुशलता के साथ चित्रित किये गये हैं। प्रकृति के भी सुन्दर चित्र दोनों में मिलते है। ‘वनस्थली‘ का प्रारम्भ ही वनस्थली से हुआ है।

  1. भामह - काव्यालंकार 1ः19121
  2. दण्डी - काव्यादर्श - 1ः14ः19
  3. विश्वनाथ - साहित्य दर्पण - 6ः34ः326
  4. हरिऔध: वैदेही वनवास, पृ0सं0 54
  5. पंडित नाथूलाल अग्निहोत्री ‘नम्र‘ -‘‘वनस्थली‘‘ - नम्र निवेदन, पृ0 1अ
  6. डा0 उमाकान्त गुप्त ‘‘नयी कविता के प्रबंध काव्य: शिल्प और    मुल्यांकन,पृ0 82
  7. The fable,then is the principal part of the soul as it were   of   tragedy, and the manners are nexy in rant “Aristotle   Poetics,  Page 16
  8.  डा0 परमलाल गुप्त -हिन्दी के आधुनिक काव्य का अनुशीलन, पृ0 111
  9.  डा0 देवी प्रसाद गुप्त-हिन्दी के आधुनिक राम काव्य का अनुशीलन,पृ0 202
  10.   वनस्थली , पृ0 अ
  11.  डा0 परमलाल गुप्त-हिन्दी के आधुनिक महाकाव्य का अनुशीलन, पृ0 139
  12.  (A)  नाथूलाल ‘नम्र‘ वनस्थली, पृ0 48-52 (B)        वही, पृ0 53
  13. वनस्थली, पृ0 247
  14.  वाल्मीकि रामायण - उत्तराखण्ड, पृ0 42/2-35
  15. भवभूति - उत्तररामचरितम् पृ0 1/14 से 35 तक
  16. हरिऔध - वैदेही वनवास - द्वितीय सर्ग, पृ0 18
  17.  वैदेही वनवास, पृ0 19
  18. हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 16-17
  19. हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 28-40
  20.  हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 47-54
  21.  वैदेही वनवास - पृ0 40
  22.  (A) हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 147  (B) हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 230-242
  23. हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 250
  24.  डा0 परमलाल गुप्ता-हिन्दी के आधुनिक राम काव्य का अनुशीलन,        पृ0 124
  25.   हरिऔध - वैदेही वनवास, पृ0 190-202

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