International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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हरिशंकर आदेश की सप्तशतियों में सौन्दर्य-निरुपण
1 Author(s): SUNITA KUMARI
Vol - 7, Issue- 2 , Page(s) : 31 - 36 (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
काव्य एवं सौन्दर्य का चोली दामन का अन्योन्याश्रम संबंध है। ‘‘रमणीयार्थ प्रतिपादन शब्द: काव्यम’’ अर्थात रमणीय या सुंदर अर्थों का प्रतिपदन करने वाला शब्द ही काव्य है । सौन्दर्य विहीन काव्य काव्य नहीं है । विश्व का सौन्दर्य, बाल्मीकि, कालिदास, कबीरदास, तुलसीदास एवं जय शंकर प्रसाद के काव्यों में दृष्टिगोचर होता है ।