International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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भारत में प्रारंभिक सिनेमा
1 Author(s): SANTOSH DEVI
Vol - 5, Issue- 1 , Page(s) : 433 - 438 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
1895 में लूमियर ब्रदर्स ने पेरिस सैलून सभाभवन में इंजन ट्रेन की पहली फिल्म प्रदर्शित की थी। इन्हीं लूमियर ब्रदर्श ने 7 जुलाई 1896 को बंबई के वाटसन होटल में फिल्म का पहला शो भी दिखाया था। एक रुपया प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क देकर बंबई के संभ्रात वर्ग ने वाह-वाह और करतल ध्वनि के साथ इसका स्वागत किया। उसी दिन भारतीय सिनेमा का जन्म हुआ था। जनसमूह की जोशीली प्रतिक्रियाओं से प्रोत्साहित होकर नावेल्टी थियेटर में इसे फिर प्रदर्शित किया गया और निम्न वर्ग तथा अभिजात्य दोनों वर्गों को लुभाने के लिए टिकट की कई दरें रखी गईं। रूढ़िवादी महिलाओं के लिए जनाना शो भी चलाया गया। सबसे सस्ती सीट चार आने की थी और एक शताब्दी बाद भी यही चवन्नी वाले ही सिनेमा, इनके सितारों, संगीत निर्देशकों और दरअसल भारत के संपूर्ण व्यावसायिक सिनेमा के भाग्य विधाता हैं। 1902 के आसपास अब्दुल्ली इसोफल्ली और जे. एस. मादन जैसे उद्यमी छोटे, खुले मैदानों में घूम-घूमकर तंबुओं में बाइस्कोप का प्रदर्शन करते थे। इन्होंने बर्मा से लेकर सीलोन तक सिनेमा के वितरण का साम्राज्य खड़ा किया। प्रारंभिक सिनेमा पियानो अथवा हारमोनियम वादक पर निर्भर होता था जिनकी आवाज प्रोजेक्टर की घड़घड़ाहट में खो जाती थी।