International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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वैदिककाल में आर्यों का आर्थिक जीवन एवं आजीविका के साधन
2 Author(s): PROF. HEMLATA BOLIYA , BANWARI LAL MEENA
Vol - 5, Issue- 11 , Page(s) : 86 - 92 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
प्राचीनकाल से समाज का उत्कर्ष मनुष्य के आर्थिक जीवन की सम्पन्नता और समुन्नति पर निर्भर करता है। मानव का भौतिक और सांसारिक सुख उसके आर्थिक विकास से प्रभावित होता है। आर्थिक जीवन का मूल आधार कृषि और व्यापार है। आज भी विश्व का समाज इन्हीं पर आधारित हैं। कृषक और औद्योगिक वर्ग के सदस्य एक निश्चित कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, तथापि परिस्थितियों के कारण उनमें भी संशोधन व परिवर्तन होते रहते हैं। आर्थिक जीवन के लिए प्रेरक ये प्रवृत्तियाँ युग-युग में आती ही रहती है। जीवन में कई वस्तुएँ अर्थ के सहयोग से प्राप्त होती थी। इसलिए अर्थ को भौतिक और लौकिक सुख प्रदान करने वाला विशिष्ट तत्व माना है। महाभारत के उद्योग पर्व एवं शान्ति पर्व में अर्थ की उच्चतम प्रतिष्ठा की गई है।