International Research journal of Management Science and Technology

  ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST

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अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वय से अमरत्व की प्राप्ति

    1 Author(s):  DR. SANJAY TIWARI

Vol -  5, Issue- 6 ,         Page(s) : 164 - 174  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST

Abstract

अपने प्रादुर्भाव काल से ही मानव स्वयं के अस्तित्व को बचाने तथा उसे बनाये रखने का प्रयास करता आ रहा है, इस हेतु अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए वह अनवरत् संघर्ष करते हुए विकासोन्मुख रहना चाहता है किन्तु प्रकृति अपने परिवर्तनशीलता-निरन्तरता के क्रम को जारी रखते हुए प्रवाह-क्रम में मानव-अस्तित्व के समक्ष संकट एवं प्रश्नचिन्ह खड़ा करती रहती है। इसी क्रम में मनुष्य अपने संततियों के रूप में स्वयं को अक्षुण्ण रखने का प्रयत्न करते हुए अन्ततः मृत्यु को प्राप्त होता रहा है।

1 Law of Conservation of energy-Energy neither can be created nor destroyed it is only changes it form, from one to another.
2. ‘‘नासतो विद्यते भावों नाभावो विद्यते सतः।’’ (भगवद्गीता-2/16)
3. द्रष्टव्य-तैतरीयोपनिषद् में पंचकोशों का वर्णन तथा तुलनीय पाश्चात्य बुद्धिवादी दार्शनिक लाइबनित्ज का चिदणु सम्बन्धित सिद्धान्त।
4. द्रष्टव्य-कादम्बिनी जून-2003 हिन्दुस्तान टाइम्स लि0 नई दिल्ली, पृष्ठ-35-41
5. द्रष्टव्य-यूरोपियन इन्स्टीट्यूट आॅफ आॅकोलाॅजी, मिलान, इटली के प्रो0 पियर लुइगी पेल्लिकी की रिपोर्ट।
6. द्रष्टव्य-कादम्बिनी जून-2003 हिन्दुस्तान टाइम्स लि0 नई दिल्ली पृष्ठ-38
7. जैसा कि ऐतिहासिक/पौराणिक आख्यानों में यह देखने को मिलता है-श्रीकृष्ण, भीष्म पितामह, महर्षि दधीचि, महर्षि पतंजलि, महाराजा रावण, ईसा मसीह आदि को इच्छामृत्यु की तकनीक का ज्ञान था।
8. तुलनीय - भगवद्गीता-2/62-63
9. द्रष्टव्य-अभयंसत्वसंशुद्धिज्र्ञानयोगव्यवस्थितिः .............. (भगवद्गीता-16/1)
10. द्रष्टव्य-डाॅ0 रबेका वियर्ड की विस्तृत रिपोर्ट।
11. तुलनीय-योग दर्शन में ‘ध्यान’,ं ‘धारणा’ एवं ‘समाधि’ की स्थिति।
12. द्रष्टव्य-मेलन विश्वविद्यालय के शेलडन कोहेन कार्नेगी की शोध-रिपोर्ट।
13. तुलनीय-कर्मण्येवाधिकारस्ते......................... (भगवद्गीता-2/47) एवं
   योगस्थः कुरू कर्माणि ......................(वही-2/48)
14. तुलनीय-हठयोग में वर्णित शरीरस्थ चक्रों (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा एवं सहस्रार आदि) का सिद्धान्त।
15. द्रष्टव्य-आईन्सटीन का सिद्धान्त - म् त्र डब2
16. तुलनीय- (भगवद्गीता-2/16 से 25 तक) (2) विज्ञानसम्मत ऊर्जा तथा द्रव्य का संरक्षण सिद्धान्त। (3) सर्वं खल्विदं ब्रह्म (छां0उ0 ।।।.14.1) (4) अहं ब्रह्मास्मि (वृ0उ0 1.4.10) (5) तत्वमसि (छां0 उ0 टप्ण्8ण्7द्ध (6) ब्रह्मसत्यंजगन्नमिथ्या जीवोब्रह्मैवनापरः-(शंकराचार्य का मत)
17-18 रामायणकालीन ‘संजीवनी वटी’ के समतुल्य।
19. जैसा कि रावण के ‘नाभि-मूल’ में ‘अमृत’ होने का उल्लेख रामायण में मिलता है।
20. अश्वत्थामा वलिव्र्यासो हनुमानश्च विभीषणः 
  कृपः परशुरामश्च सप्तैतं चिरंजीविनः।

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