रामनरेश त्रिपाठी और माखनलाल चतुर्वेदी तुलनात्मक अध्ययन
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Author(s):
DR. BABITA CHAUDHARY
Vol - 5, Issue- 4 ,
Page(s) : 99 - 114
(2014 )
DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
Abstract
हिन्दी-साहित्य-जगत् में ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से विख्यात, राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी का कवि-रूप मानव जीवन की विविध् विडम्बनाओं का प्रतीक कहा जा सकता है। आकार-प्रकार और व्यक्तित्व ही नहीं, साहित्य रचनाओं में भी पूर्ण भारतीय दिखाई देने वाले कवि माखनलाल चतुर्वेदी में आध्ुनिक काल के तीन महान युगों - द्विवेदी-युग, प्रसाद-युग एवं प्रगतियुग के साहित्य की प्रवृत्तियों का समन्वय देखा जा सकता है।
- डाॅú सुषमा नारायण, भारतीय राष्ट्रवाद के विकास की हिन्दी साहित्य में अभिव्यक्ति, पृú 322
- माखनलाल चतुर्वेदी, हिमकिरीटिनी, पृú 43
- माखनलाल चतुर्वेदी, युगचरण, पृú 34
- रामनरेश त्रिपाठी, स्वप्न, पृú 82
- वही, पृú 45
- रामनरेश त्रिपाठी, मानसी, स्वदेश गीत, पृú 78
- माखनलाल चतुर्वेदी, ‘हिमकिरीटिनी’, पृú 20
- माखनलाल चतुर्वेदी, ‘साहित्य देवता’, पृú 61
- डाॅú गणेश खरे, आध्ुनिक प्रगीत काव्य, पृú 311
- रामनरेश त्रिपाठी, मानसी, पृú 82
- वही, पृú 83
- रामनरेश त्रिपाठी, स्वप्न, पृú 81
- माखनलाल चतुर्वेदी, समर्पण, पृú 89
- माखनलाल चतुर्वेदी, हिमकिरीटिनी, पृú 15
- रामनरेश त्रिपाठी, गांध्ी जी कौन हैं, पृú 110
- रामनरेश त्रिपाठी, मिलन ;दसवां संस्करणद्ध, पृú 75
- माखनलाल चतुर्वेदी, माता, पृú 35
- माखनलाल चतुर्वेदी, हिमकिरीटिनी, पृú 54-55
- रामनरेश त्रिपाठी, स्वप्न ;नवां संस्करणद्ध, पृú 45
- रामनरेश त्रिपाठी, ग्राम साहित्य, पृú 11
- माखनलाल चतुर्वेदी, वेणु लो गूँजे ध्रा, पृú 81
- रामनरेश त्रिपाठी, आध्ुनिक कविता: रामनरेश त्रिपाठी ;महापुरुषद्ध, पृú 111
- माखनलाल चतुर्वेदी, वेणु लो गूँजे ध्रा, पृú 99
- वही, पृú 101
- माखनलाल चतुर्वेदी, माता, पृú 22
- वही, पृú 39
- माखनलाल चतुर्वेदी, हिमकिरीटिनी, पृú 6
- डाॅú नगेन्द्र, विचार और विश्लेषण, पृú 136
- माखनलाल चतुर्वेदी, समर्पण, पृú 8
- रामनरेश त्रिपाठी, मानसी ;प्रेम-ज्योतिद्ध, पृú 44-45
- रामनरेश त्रिपाठी, जयन्त, पृú 44-45
- रामनरेश त्रिपाठी, मिलन, पृú 2/23
- रामधरी सिंह दिनकर, मिट्टðी की ओर, पृú 149
- माखनलाल चतुर्वेदी, हिमकिरीटिनी, पृú 43
- माखनलाल चतुर्वेदी, युगचरण, पृú 31
- रामनरेश त्रिपाठी, मानसी, पृú 46
- माखनलाल चतुर्वेदी, समर्पण, पृú 19
- रामनरेश त्रिपाठी, जयन्त, पृú 26
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