International Research journal of Management Science and Technology
ISSN 2250 - 1959 (online) ISSN 2348 - 9367 (Print) New DOI : 10.32804/IRJMST
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आज का युवा वर्ग और संत काव्य
1 Author(s): DR. BRIJENDRA PANDEY
Vol - 10, Issue- 8 , Page(s) : 105 - 110 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/IRJMST
पाश्चात्य सभ्यता के निरंतर अंधानुकराने भारतीय संस्कृति के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। भौतिकवादी विचारों ने भारतीय संस्कारों को अपदस्थ कर दिया है। आधुनकि भारतीयों ने अपने सांकृतिक मूल्यों को लगभग विस्मृत कर दिया है। ऐसे भारतीय सामाजिक परिवेश में आज का युवा वर्ग पूरा करने की जद्दोजहद में वे निरंतर तनाव, हिंसा, अकेलेपन, नशा, कामुकता एवं कोधादि मानसिक विकारों के साथ अपराध की गिरफ्त में आ रहे है। इसका एक बड़ा कारण भारतीय समाज है। क्यों कि यह समाज युवाओं को आगे बझने कि प्रेरणा तो दे देता है। परन्तु सफलता का सही मार्ग निर्देशित नहीं कर पाता है। जीवन में सही-गलत, अच्छे-बुरे की पहचान के अभाव में युवा पीढ़ी भटक जाती है।